38% टीचर नहीं पहुंचे मैट्रिक-इंटर की कॉपियां जांचने, किसी ने कहा बच्चे को दूध पिलाना है, किसी ने ट्रैवल हिस्ट्री तो किसी की सेहत खराब
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा मैट्रिक और इंटर के 6.30 लाख परीक्षार्थियों की की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन गुरुवार से शुरू हो गया। राज्य के 51 केंद्रों पर कॉपियों की जांच के लिए प्रतिनियुक्त परीक्षकों में पहले दिन 70 प्रतिशत ने ही योगदान दिया। सभी केंद्रों पर कोरोना से बचाव के सारे इंतजाम किए गए थे। शहीद चौक स्थित जिला स्कूल में परीक्षकों के केंद्र पर पहुंचते ही सबसे पहले उनकी थर्मल स्क्रीनिंग कर तापमान एक रजिस्टर में लिखा जा रहा था। इसके बाद मशीन से स्प्रे कर सेनिटाइज किया गया। वहीं पर एक मास्क और सेनिटाइजर की बॉटल देकर उन्हें मूल्यांकन कक्ष में भेजा जा रहा था। जिला स्कूल केंद्र पर 5 परीक्षकों को विभिन्न कारणों से घर भेज दिया गया। इसी केंद्र पर दो महिला परीक्षकों ने कहा कि उनका बच्चा है, जिसे दूध पिलाने के लिए उन्हें जाना पड़ेगा। दो परीक्षकों ने स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने की बात कही। एक ने कहा कि उसकी ट्रेवल हिस्ट्री है। वे पश्चिम बंगाल से आए हैं। उनके पिता की भी तबियत ठीक नहीं रहती है। उन्हें कहा गया कि आपकी ट्रेवल हिस्ट्री है तो क्वाॅरेंटाइन में रहना चाहिए।
मूल्यांकन केंद्रों की इस बार तस्वीर बदली... ये परीक्षार्थी नहीं बल्कि परीक्षक हैं
दूर से आने वाले परीक्षकों को पहले छूट्टी : मूल्यांकन में शारीरिक दूरी के नियम का पालन हो। कई परीक्षक तोरपा, सिल्ली, अनगड़ा, पिठोरिया, बेड़ो से मूल्यांकन के लिए पहुंचे थे। दूर से आने वाले परीक्षक शाम चार बजे ही केंद्र निदेशक की अनुमति से घर के लिए निकल गए। जबकि अन्य परीक्षकों ने 5 बजे तक काम किया। इधर, शिक्षा सचिव के पत्र के बाद भी सुरक्षा मानक की अनदेखी की गई। निगम द्वारा केंद्र को सेनिटाइन नहीं किया गया।
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