लाॅकडाउन में रोजगार छिन जाने के बाद विभिन्न राज्याें से धनबाद लाैटे प्रवासी मजदूराें काे स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया कराया जाएगा। डीसी अमित कुमार की अध्यक्षता में समाहरणालय में विभिन्न विभागाें के अधिकारियों की बैठक में इस मुद्दे चर चर्चा की गई। राेजगार के लिए एक्शन प्लान बनाने का निर्णय लिया गया।
डीसी ने कहा कि सभी विभागों को समन्वय बनाते हुए याेजना बनानी होगी। 7000 से अधिक मजदूर लाैटे हैं। सर्वे कर स्किल्ड और अनस्किल्ड कैटेगरी में उनकी सूची बनाएं। उनके आधार नंबर और बैंक पासबुक की फाेटाेकाॅपी के साथ पूरी रिपाेर्ट साैंपें। याेग्यता और क्षमता के आधार पर सभी प्रवासियों को राेजगार दिया जाएगा। बैठक में नगर आयुक्त चंद्र मोहन कश्यप, डीएफओविमल लकड़ा, डीडीसी बाल किशुन मुंडा, डीआरडीए निदेशक संजय कुमार भगत के साथ-साथ याेजना, कल्याण, श्रम, कृषि, पशुपालन, शिक्षा विभागाें के अधिकारी माैजूद थे।
माइक्रो फॉरेस्ट प्रोड्यूसर्स काे उचित मूल्य दिलाएं
डीसी ने कहा कि महुआ, इमली, करंज, साल आदि से जुड़े छाेटे उत्पादकाें काे वन विभाग अाैर झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी उचित मूल्य दिलाने में सहायता करें। वन धन योजना, कौशल विकास, प्रधानमंत्री कुसुम योजना, रोजगार सृजन कार्यक्रम, फूलाें की खेती, केज मछली पालन, सैनेटरी नैपकिन उत्पादन से लाेगाें काे जाेड़ें और मजदूराें काे उत्पादाें का अधिकतम मूल्य दिलाना सुनिश्चित करें।
हर दिन 200 श्रमिकाें काे दें राेजगार : उपायुक्त
डीसी ने कहा कि हर गांव में 5-5 योजनाएं स्वीकृत होनी चाहिए। हर पंचायत में हर दिन 200 श्रमिकों को काम देने के लक्ष्य के साथ याेजनाएं तैयार करें। मनरेगा, पानी रोको पौधा राेपाे, सीएम बागवानी याेजना, जल संरक्षण के लिए ट्रेंच कटिंग, शाॅकपिट वाटर याेजना, मेड़ निर्माण पौधरोपण आदि में काम दिया जा सकता है।
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