पूर्व के तालाब में ही जेसीबी मशीन से खुदाई कर निकाल लिया पैसा, मनरेगा योजना में गड़बड़ी से लोगों में आक्रोश
गढ़वा सदर प्रखंड के संग्रहे पंचायत के ग्रामीणों ने पंचायत के मुखिया व रोजगार सेवक पर तालाब निर्माण में फर्जी निकासी का आरोप लगाया है। इस संबंध में वार्ड सदस्य रीता देवी, अजीम अंसारी, मुद्रिका चौधरी, चंद्रकिशोर चौधरी, सुदर्शन चौधरी सहित अन्य ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत के मुखिया देवंती देवी, मुखिया पति सीताराम चौधरी, रोजगार सेवक आत्माराम और कनीय अभियंता की मिलीभगत से पंचायत में संचालित विभिन्न मनरेगा योजनाओं में भारी गड़बड़ी बरती गई/जा रही है।
मजदूरों की बजाए मनरेगा योजना में जेसीबी मशीन से काम करा कर फर्जी निकासी की जा रही है। लोगों ने बताया कि मुखिया द्वारा मनरेगा योजना में गड़बड़ी का आलम यह है कि पूर्व से बने तालाब में ही मनरेगा के तहत मुकेश कुमार पासवान के नाम से लगभग चार लाख की लागत से नए तालाब निर्माण की स्वीकृति देकर रोजगार सेवक आत्माराम की मिलीभगत 133380 रुपए की फर्जी निकासी कर ली गई। ग्रामीण द्वारा उक्त फर्जी निकासी की उच्च स्तरीय पदाधिकारियों के पास शिकायत के लिए जाने की भनक मिलते ही रातों रात जेसीबी मशीन से उक्त पुराने तलाब में ही मनरेगा के तहत इस तालाब की खुदाई कर दी गई। ऐसे में मजदूरों की जगह पर मनरेगा योजना में जेसीबी मशीन का इस्तेमाल कर मजदूरों का हक मारा गया। जबकि मनरेगा एक्ट के साथ-साथ महामारी को लेकर जारी देशव्यापी लॉक डाउन का भी उल्लंघन रात्रि में जेसीबी मशीन से काम करवाकर किया गया।
जिसका वीडियो क्लिप ग्रामीण खुद के पास सुरक्षित रखे हुए हैं। लोगों ने कहा कि रात्रि में जेसीबी मशीन से खुदाई के बाद जेसीबी के पहिए की छाप को मिटाने के लिए 4 मजदूर फेकन चौधरी, राजेंद्र चौधरी, फेकन चौधरी के बहनोई व एक अन्य से ड्रेसिंग करवाई गई। प्रशासन चाहे तो उक्त लोगों से आवश्यक पूछताछ कर सकती है। लोगों ने बताया कि एक ही तालाब में तीन तीन बार तलाब का नव निर्माण दिखाकर पैसे निकालना सरकारी राशि का दुरुपयोग एवं गबन है। उनका कहना है की वर्तमान विवादित तलाब का निर्माण सबसे पहले प्रखंड द्वारा हुआ था। इसके बाद अंचल के तहत तालाब की विशेष मरम्मती का कार्य किया गया था। ऐसे में पुनः तीसरी बार मनरेगा योजना के तहत उक्त पुराने तालाब में ही नए तलाब बनाकर फर्जी निकासी करना वह भी जेसीबी मशीन के जरिए, कहीं से भी न्यायोचित नहीं हो सकता। लोगों ने कहा कि इससे कुछ वर्ष पूर्व भी मुखिया द्वारा नारायण शर्मा, शेख इस्तेखार, शेख शमशाद, नवीरसूल खान, बंसी चौधरी व सुरेश चौधरी के खेत में जेसीबी मशीन से डोभा की खुदाई कर फर्जी निकासी कर ली गई थी। जिसका उपरोक्त ग्रामीणों की शिकायत पर जांच के बाद तत्कालीन पंचायत सचिव से उक्त राशि की रिकवरी की गई थी।
इन लोगों के नाम से हुई है फर्जी निकासी
लोगों ने कहा कि जेसीबी मशीन से निर्माण कार्य करवाकर ग्रीन प्रजापति, रियाज बैठा, तेजन चौधरी, सत्यदेव चौधरी, सकेंद्र चौधरी, राजेंद्र प्रजापति, अशोक चौधरी, फूलमती देवी, बिगन चौधरी, विनोद कुमार शर्मा, दुखी चौधरी, अंबिका चौधरी, ऋषि कुमार, राज किशोर गुप्ता, पंकज चौधरी, श्रद्धा देवी, गुलशन बीवी, वार्ड सदस्य इसराफुल बीवी, मीरा देवी, लगनी देवी आदि के नाम से फर्जी मस्ट रोल संधारित कर फर्जी निकासी की गई। जबकि इनमें से कोई भी मजदूर से 1 दिन भी कार्य नहीं करवाया गया है। इसमें ग्रीन प्रजापति, सकेंद्र चौधरी, ऋषि कुमार, राज किशोर गुप्ता आदि मजदूर ऐसे हैं जो अभी बाहर काम करने जाने के कारण लॉक डाउन में फंसे हैं। उन्हें पता तक नहीं है कि उनके नाम से काम दिखा कर फर्जी निकासी की जा रही है। प्रशासन चाहे तो उक्त मजदूरों से आवश्यक पूछताछ कर मामले की तफ्तीश कर सकती है। लोगों ने उपरोक्त के संदर्भ में उप विकास आयुक्त को आवेदन समर्पित कर मामले की जांच करने और दोषी मुखिया, फर्जी मास्टर रोल और जियो टैगिंग संधारित करने के दोषी रोजगार सेवक व फर्जी मापी पुस्तिका संधारित करने वाले कनीय अभियंता पर कार्रवाई की मांग की है।
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