छह माह में अफसर नहीं बता पाए कि 300 बेड का सदर अस्पताल चलाने में कितना खर्च आएगा

सदर अस्पताल में 300 बेड का संचालन होना है। कोरोना काल में बेड की कमी को देखते हुए इसका संचालन शुरू करने की जरूरत बताई जा रही है। हालांकि, पिछले छह महीने में स्वास्थ्य अधिकारी यह तय नहीं कर पाए हैं कि 300 बेड के अस्पताल संचालन पर कितना खर्च होगा। इस साल जनवरी में रांची सिविल सर्जन ने 300 बेड के संचालन का अनुमानित खर्च 224 करोड़ रुपए बताया था। जबकि, गोड्डा सिविल सर्जन ने 300 बेड के संचालन का अनुमानित खर्च मात्र 38 करोड़ रुपए बताया है। अब विभाग तय नहीं कर पा रहा है कि वास्तविक खर्च क्या है। ऐसे में रांची सिविल सर्जन को एक बार फिर से 300 बेड के संचालन पर होने वाले खर्च का आकलन कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।

क्या है मामला

गोड्डा जिले के महुआरा में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड द्वारा सीएसआर के तहत 240 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। इससे 300 बेड के अस्पताल संचालन की योजना है। इसके लिए गोड्डा सिविल सर्जन से 300 बेड वाले संचालन के लिए अनुमानित व्यय प्रतिवेदन मांगा गया था। गोड्डा सिविल सर्जन ने रेकरिंग मद में 29.96 करोड़ और नॉन रेकरिंग मद में 8.4 का अनुमानित बताया गया है। रांची सदर अस्पताल के 300 बेड के संचालन के लिए जब रांची सिविल सर्जन के रिपोर्ट मांगी गई तो उन्होंने 300 बेड के अस्पताल के संचालन के लिए रेकरिंग मद में 37.39 करोड़ और नॉन रेकरिंग मद में 186 करोड़ का अनुमानित व्यय बताया गया। इस प्रकार रांची सिविल सर्जन द्वारा 300 बेड के संचालन का खर्च जो बताया गया है, वह गोड्डा सिविल सर्जन गोड्डा द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रतिवेदन से काफी अधिक है। ऐसे में 300 बेड के अस्पताल संचालन में कितना वास्तविक खर्च होगा, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।

रांची सिविल सर्जन से 28 सितंबर तक मांगी गई रिपोर्ट

ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर से रांची सिविल सर्जन 300 बेड वाले अस्पताल संचालन के लिए वास्तविक व्यय के संबंध में 28 सितंबर तक स्थिति स्पष्ट करते हुए विभाग को रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। हालांकि, इससे पहले भी विभाग की ओर से दो बार सिविल सर्जन को रिमाइंडर भेजा जा चुका है। लेकिन, छह माह बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।



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फाइल फोटो


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