झारखंड में दिल का रोग जानलेवा, 3.5 करोड़ झारखंडियों की धड़कन रुकने से बचाने के लिए 13 साल पुरानी सिर्फ एक कैथलैब
झारखंड में 3.50 करोड़ लोगों को हृदय रोग संबंधी परेशानियों और हार्ट अटैक जैसी जानलेवा स्थिति से बचाने के लिए राज्य सरकार के पास इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर सिर्फ रिम्स में लगी मात्र एक 13 साल पुरानी कैथलैब है। वह भी अपनी आयु पुरी कर चुकी है और दो-तीन महीने में एक बार जरूर खराब होती है। ऐसे में राज्य के ज्यादातर हृदय रोगी निजी अस्पताल या फिर राज्य से बाहर जाने को विवश हैं। 18 सालों में रिम्स में ही कार्डियोलॉजी यूनिट शुरू हो पाई।
जमशेदपुर के एमजीएम और धनबाद के पीएमसीएच में बिल्डिंग तो बनी लेकिन कैथलैब इंस्टॉल नहीं हुआ। यहां आज तक कार्डियोलॉजी यूनिट शुरू नहीं हुई। जबकि राज्य में हर साल डेढ़ लाख से अधिक नए हृदय रोगी मिलते हैं। अकेले रिम्स में ही एक साल में 32 हजार रोगी आउटडोर में आते हैं।
सच्चाई... मरीज दो घंटे में अस्पताल पहुंचे तो हो सकता है ठीक
सभी 24 जिलों के मरीजों का दो घंटे के अंदर रिम्स पहुंचना असंभव
राज्य के सभी 24 जिलों के मरीजों का दो घंटे के अंदर रिम्स पहुंच पाना असंभव है। हार्ट अटैक आने पर काफी कम मरीज समय पर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच पा रहे हैं।
लापरवाही... एमजीएम में अस्पताल की बजाय कॉलेज परिसर में बनवा दी कैथलैब
एमजीएम में 9.55 करोड़ से कैथलैब लगाने की योजना बनी। पर, अस्पताल से आठ किमी दूर कॉलेज परिसर में अनुमति दी गई। आनन-फानन निर्माण रोका गया। फिर से निर्माण शुरू हुआ लेकिन इंस्टॉल नहीं हुआ।
3 कैथलेब संग कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति भी बेहद जरूरी है
राज्य के हरेक मेडिकल कालेज में कार्डियोलॉजी यूनिट (कैथलैब सहित) शुरू किया जाना चाहिए। रिम्स में कार्डियोलॉजी यूनिट को और बेहतर बनाया जाना चाहिए। यहां कम से कम तीन कैथलैब की आवश्यकता है। इसके अलावा नए कार्डियोलॉजिस्ट की भी नियुक्ति की जानी चाहिए। रिम्स में ही कार्डियोलॉजी यूनिट में पांच डॉक्टरों के पद खाली हैं।
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