कभी नक्सलियों का गढ़ रहे गुड़ाबांदा क्षेत्र के जियान गांव आज भी एक पुलिया के लिए मोहताज है। इस गांव का नाम उस समय पूरे देश में चर्चा में आ गया, जब कुख्यात नक्सली कान्हू मुंडा ने पुलिस के समक्ष समर्पण किया था। गुड़ाबांदा क्षेत्र का लाल आतंक कहे जाने वाला नक्सलियों के सरदार बनग्राम निवासी कान्हू मुंडा ने वर्ष 2017 में अपने साथियों के साथ सरेंडर किया तो पुलिस ने बड़ी राहत की सांस ली थी। समर्पण के समय उसने पुलिस से एक ही मांग की थी- उसके गांव आने-जाने के लिए नाले पर पुलिया का निर्माण कराया जाए। इस बात को तीन साल बीत गए। क्षेत्र में कई सड़कें बनी और टूट भी गईं। लेकिन आज तक बनग्राम, नूतनडीह एवं झिलिंगडुंगरी तक के लिए सड़क का निर्माण नहीं हो पाया।
नूतनडीह से बनग्राम गांव के बीच एक नाला है जिस पर बारहों महीने पानी बहता रहता है। बारिश के दिनों इन दो गांव का संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। दोनों गांव के ग्रामीणों का कहना है कि सरकार इस नाले पर पुल का निर्माण भी कर दे तो बहुत हद तक मुश्किल आसान हो जाएगी। ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए कहा- बनग्राम के लोगों को साल में 7 महीने 10 किलोमीटर अतिरिक्त घूमकर मुख्यालय एवं बाजार जाना पड़ता है। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं है। इससे बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए भी मुश्किल होती है। प्रशासन ने कई बार यहां शिविर लगाए, और विकास की बड़ी-बड़ी बातें कीं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही साबित हुआ। गांव के बबलू मुंडा, राजेश मुंडा, संजय मुंडा, जितेन मुंडा, चुनू मुंडा, मेघनाथ मुंडा, शंभू मुंडा आदि ने बताया- अधिकारी वादे के अनुसार गांव में विकास की योजना शुरू करें तभी यहां के लोगों को रोजगार मिल पाएगा।
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