जिदंगी के रंगमंच में भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य दशरथ सिंह ने कई किरदार निभाए। वे नेता, ठेकेदार, समाजसेवी जैसे नाम से जाने जाते थे। लेकिन सबसे अहम किरदार राजा का था। वे सालभर में एक दिन मुसाबनी के राजा बनते थे। दरअसल दशरथ सिंह मुसाबनी के श्री जगन्नाथ रथयात्रा कमेटी के महत्वपूर्ण पद पर थे। हर साल रथ यात्रा आयोजन पर वे राजा की भूमिका में विशेष पूजा-पाठ करते थे।
उसके बाद नियमानुसार रथ के आगे-आगे झाड़ू लगाते थे। ऐसी मान्यता है कि पुरी की रथयात्रा के दौरान वहां के राजा ही रथ के आगे झाडू़ लगाते है। घाटशिला अनुमंडल में सबसे बड़ी रथयात्रा मुसाबनी में ही निकलती है। इसलिए यहां लोग दशरथ सिंह को राजा दशरथ के नाम से भी जानते थे। मंगलवार को दशरथ सिंह की मौत की खबर मिलते ही शुभचिंतक उनके घर की ओर दौड़ पड़े। किसी ने दशरथ सिंह द्वारा खुदकुशी की कल्पना नहीं की थी। दोस्तों ने बताया- दशरथ सिंह आर्थिक रूप से परेशान थे। लेकिन वे इतना भी कमजोर नहीं था कि आत्महत्या करें।
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