जिले का लिंगानुपात घटा; छह साल में 1000 लड़कों पर 52 लड़कियां कम, अल्ट्रासाउंड केंद्रों की होगी जांच

जिले का लिंगानुपात गड़बड़ा गया है। छह साल पहले 2013 में जिले में बालक-बालिका का लिंगानुपात 1000:1004 था। वहीं 2019 के सर्वे में जिले में लिंगानुपात 1000: 952 हो गया है। इसमें सुधार करने के लिए पहल शुरू की गई है।
बुधवार को उपायुक्त कार्यालय में पीसी एंड पीएएनडीटी की सलाहकार समिति की बैठक की गई थी, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर डीसी सूरज कुमार ने योजना बनाई है।

डीसी ने लिंगानुपात बढ़ाने के लिए आवश्यक पहल करने का आदेश दिया। कहा - टीम का गठन कर यूएसजी क्लिनिक की जांच की जाए तथा 15 नवंबर तक कागजातों को अपडेट किया जाए। अगले माह से अंतिम सप्ताह के गुरुवार को बैठक की जाएगी। बैठक में तय हुआ कि अल्ट्रासाउंड करने वाले संस्थानों पर नजर रखी जाए और भ्रूण हत्या रोकने के लिए छापेमारी की जाए। आम लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाने के लिए एनजीओ की भी सहायता लेने का फैसला किया है।

सीएस डॉ. आरएन झा ने कहा

पहले जिले में बालक-बालिका का लिंगानुपात 1004 था, पर अब अब घटकर 952 हो गया है। इसमें सुधार के लिए प्रयास किया जाएगा। बैठक में सिविल सर्जन डॉ. आर एन झा, एसीएमओ डॉ. साहिर पाल, डीआरसीएचओ डॉ. बीएन उषा, एमओ सदर अस्पताल डॉ. बी साहा, अधिवक्ता रिंकी तिवारी, पूर्वी पॉल व पंकज कुमार श्रीवास्तव एनजीओ प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित थे।



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Decreased sex ratio of the district; Ultrasound centers will be screened for 52 girls less than 1000 boys in six years


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