गलत रिपोर्ट देकर गुनाहगारों को बचाने का मंसूबा किया गया फेल

गत जुलाई माह में गैंगरेप की शिकार यूपी की दो नाबालिग लड़कियों को न्याय मिलने की आस जगी है। ऐसा एसपी श्रीकांत एस खोटरे के नेतृत्व में गढ़वा पुलिस के सकारात्मक प्रयास से संभव हुआ है। गैंगरेप मामले को बेपर्द करने के लिए पुलिस ने जिस गहराई से अनुसंधान किया है उससे गढ़वा पुलिस की साख बढ़ी है। घटना में संलिप्त अभियुक्तों पर चार्ज शीट के बाद इस घटना से आहत सभ्य समाज का पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है।

अब लोगों को इस घटना में शामिल दरिंदों को कठोरतम सजा मिलने का इंतजार है। ज्ञात हो कि दोनों पीड़िताओं की मेडिकल जांच करने वाली महिला चिकित्सक ने जिस सफाई से मेडिकल रिपोर्ट में खेल किया था। उससे इस मामले के अनुसंधान में पुलिस के समक्ष चुनौती खड़ी हो गई थी। लेकिन पुलिस को दाद देनी होगी, उसने बिना देर किये फटाफट एफएसएल की रिपोर्ट जमा कर मेडिकल रिपोर्ट का तोड़ निकाल लिया।

आइये हम जानते हैं क्या खेल हुआ था मेडिकल रिपोर्ट में
29 जुलाई को शाम में घटित गैंगरेप की घटना के बाद पुलिस ने 30 को सबेरे दोनों पीड़िताओं को सदर अस्पताल गढ़वा भेजकर मेडिकल जांच कराया। जिस महिला चिकित्सक ने पीड़िताओं की मेडिकल जांच की उसने जो रिपोर्ट दिए हैं वह हैरान करने वाली हैं। महिला चिकित्सक ने अपने ओपिनियन में लिखा कि तत्काल दुष्कर्म और कोई आंतरिक अथवा बाह्य जख्म से कोई प्रूफ उन्हें नहीं मिला। उन्होंने एक पीड़िता की उम्र का अनुमान 18 और एक का 18-19 लगाया। जिसका आधार फिजिकल, रेडियोलॉजिकल और डेंटल परीक्षण बताया।

एफएसएल की रिपोर्ट के बाद महिला चिकित्सक की भूमिका पर उठ रहे सवाल
एफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद महिला चिकित्सक की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जानकारी के अनुसार गैंगरेप की शिकार दोनों पीड़िताओं के अंर्तवस्त्रों को और कोर्ट के आदेश से अभियुक्तों से सेंपल लेकर पुलिस ने जांच के लिये विधि विज्ञान प्रयोगशाला रांची भेजा। जहां से प्राप्त एफएसएल की रिपोर्ट से दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। साथ ही पुलिस ने दोनों पीड़िताओं के शैक्षणिक और अन्य प्रमाण पत्रों के आधार पर पाया है कि दोनों की उम्र 17 वर्ष है।



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