सरकार की ओर से न ताे फंड आवंटित किया गया और न ही शहर में 16 स्थानाें पर ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाने की प्रशासनिक अनुमति दी गई, इसके बाद भी ट्रैफिक सिग्नल लाइट का टेंडर करा दिया। टेंडर भी एक बार नहीं बल्कि तीन बार कराया गया। तीन बार टेंडर कराने के बाद भी किसी एजेंसी ने इसमें भाग नहीं लिया और यह मामला फाइलाें में सिमट कर रह गया। बिना प्रशासनिक स्वीकृति के टेंडर कराए जाने का खुलासा मंगलवार काे ऑनलाइन हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में हुआ।
बैठक में जब सांसद पीएन सिंह ने नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार से पूछा कि शहर में 16 स्थानाें पर ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाने का मामला कहां तक पहुंचा और अभी किस स्थिति में है ताे नगर आयुक्त का जवाब था-नगर निगम काे ताे यह काम करना ही नहीं है। ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाने के लिए निगम काे न ताे फंड आवंटित किया गया है और ही इसकी प्रशासनिक स्वीकृति मिली है।
ट्रैफिक सिग्नल लाइट का टेंडर किसे करना है, साफ नहीं
यातायात व्यवस्था काे व्यवस्थित करने के लिए ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाई जाती है, लेकिन यह काम किस विभाग काे करना है, यह स्पष्ट ही नहीं है। मंगलवार काे हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में जब नगर अायुक्त ने कहा कि यह काम निगम का है ही नहीं ताे फिर सांसद ने डीसी से कहा कि अाखिर यह किसका है। डीसी ने सांसद से कुछ समय देने की अपील करते हुए कहा कि वे खुद इसकी समीक्षा करेंगे। इधर सांसद ने निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि निगम दाे साल से समिति काे गुमराह कर रहा है। प्रशासनिक स्वीकृति ही नहीं मिली ताे फिर किस बात का टेंडर करा रहा था।
यहां पर लगना है सिग्नल
मेमकाे माेड़, सिटी सेंटर, श्रमिक चाैक, रणधीर वर्मा चाैक, पूजा टॉकीज चाैक, स्टील गेट, हीरापुर हटिया माेड़, धनसार चाैक, बिरसा चाैक बैंकमाेड़, जेपी चाैक बैंकमाेड़, करकेंद माेड़, कतरास बाजार चाैक, कतरास थाना चाैक, कतरास माेड़।
''ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाने का काम निगम का नहीं है। पूर्व में निगम ने किस आधार पर टेंडर कराया, इसकी जानकारी नहीं है। सांसद के कहने पर फिर से नगर विकास विभाग से मार्गदर्शन मांगा है ।''
सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त
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