आंदोलन के बाद अब खुलेआम बालू का उत्खनन

नदियाें से जाे बालू पहले चाेरी-छुपे उठता था वह अब खुले अाम उठ रहा है। बालू माफियाओं पर पहले जो एसडीओ प्रेरणा दीक्षित का खौफ था, उसका असर अब कहीं नहीं दिखता। क्योंकि पहले कुछ दिनो तक रात में बालू चोरी छुपे उठाया जा रहा था, अब दिन में ही उठने लग रहा है। उसरी नदी में अब पूरा दिन बालू का दर्जनों ट्रैक्टर लगता है और जम कर बालू का जम कर अवैध उत्खनन होता है।

बालू कारोबारी भाजपा के अंदोलन के बाद और बेखाैफ हो गए हैं। लेकिन इसका नुकसान वैसे लोगों को हो रहा है जो छोटे-बड़े निर्माण मसलन घर, शौचालय, पीएम आवास आदि करा रहे हैं। बालू के इस अंधाधुंध उठाव पर माले ने सवाल खड़ा किया है और आंदोलन की चेतावनी दी है।

इस अवैध उत्खनन पर रोक लगाने की मांग प्रशासन से की है। कहा है कि बिना टेंडर बालू का इस कदर उठाव प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगता है। यह दिन दहाड़े चोरी है। माले नेता राजेश सिन्हा ने कहा कि दिन दहाड़े बिना टेंडर के बालू की चोरी होने लगी है। वहीं लोगों से बालू का मनमाना दाम वसूला जा रहा है। तिगुना बालू का रेट लिया जा रहा है।

अवैध बालू उठाव लगातार चल रहा है। कुछ दिन आईवॉश के लिए हुई पुलिसिया कार्रवाई से शांत थे, फिर निचले लेबल एजेंट और प्रशासन के साथ साठ-गांठ से दिनदहाड़े बालू चोरी शुरू हो गया। डेढ़ महीने तक माले के आवेदन पर चोरी रुकी हुई थी।

भाजपा सरकार में भी बालू चोरी थी अब झामुमो सरकार में भी जारी

कहा कि भाजपा सरकार के काल मे भी लूट जारी थी अब वर्तमान सरकार में भी लूट है। ट्रेक्टर वाले 700 की जगह 2000 रुपये प्रति गाड़ी बालू बेच रहे हैं। अंधेरे में नदी घाटों में ट्रैक्टर का हुजूम लगा रहता है। इसे आखिर कौन सह देता है। उसरी बचाव अभियान के अंतर्गत खनन विभाग,नगर निगम, उपायुक्त कार्यालय को आवेदन दिया गया था।

कहा कि बालू जरूरी है, बालू के बिना विकास संभव नहीं है, लेकिन टेंडर भी जरूरी है। पर्यावरण को बचाना भी जरूरी है। लेकिन इस कदर बालू की लूट की छूट नहीं होनी चाहिए। इसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेवार है। टेंडर के लिए माले आंदोलन करेगी।



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After the movement, sand is now openly excavated


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