एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) कोलकाता में इन्कैब कर्मचारियों द्वारा दाखिल आवेदन के साथ एक और तथाकथित लेनदार के आवेदन पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कंपनी की पुणे स्थित दो परिसंपत्ति के लेनदार होने का दावा करने वाले नितिन भावे ने एनसीएलटी के एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी (जज) के समक्ष एफिडेविट दिया है। एफिडेविट के अनुसार, एनसीएलटी के 7 अगस्त 2019 के मोराटोरियम आदेश के पूर्व कमला मिल्स लिमिटेड के मालिक सह निदेशक रमेश घमंडी राम गोवानी द्वारा 2018 में इंकैब की मुंबई स्थित दो परिसम्पत्तियों को नितिन भावे को पॉवर ऑफ अटार्नी देकर बेच दी गई। नितिन भावे ने दावा किया- इंकैब कंपनी की परिसंपत्तियों पर उसका ग्रहणाधिकार है। इसलिए 9 जनवरी 2020 की इंकैब कंपनी की पुणे की परिसंपत्तियों की लिक्विडेटर द्वारा नीलामी पर रोक लगाई जाए।
हालांकि, एनसीएलटी कोर्ट ने कहा- नीलामी नहीं रोकी जाएगी। नीलामी कार्रवाई एनसीएलटी के अधीन रहेगी। इंकैब कर्मचारियों की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने कोर्ट से नीलामी को तत्काल रोकने को कहा, क्योंकि लिक्विडेटर शशि अग्रवाल कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहा है। अधिवक्ता ने कहा- एनसीएलटी के क्रमश: 20 नवंबर और 7 फरवरी 2020 को जारी आदेश में जिक्र है कि कमला मिल्स के मालिक ने इंकैब के निदेशक पद से 29 सितंबर 1999 को इस्तीफा दे दिया। तब किस बोर्ड ने परिसंपत्तियों बेचने का फैसला किया और वे कैसे बिकीं। लिक्विडेटर ने क्या कार्रवाई की। इसपर लिक्विडेटर के वकील ने कोई टिप्पणी नहीं की। जिरह के बाद राजशेखर और सूरी की बेंच ने कहा- आवेदन के आलोक में एफिडेविट फाइल की जा चुकी है। मामले में अगली सुनवाई 1 फरवरी 20121 को होगी।
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