राज्य सरकार की हजारों लाखों की महत्वाकांक्षी बिरसा हरित योजना, कच्ची नाली आदि कार्यों में मशीनों की जगह प्रवासी श्रमिकों से काम लिया जाना तय हुआ। प्रवासियों के लिए जॉब कार्ड बनाए गए ताकि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत उन्हें गांव में ही काम मिल सके। लेकिन इन प्रयासों के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। पेट की ज्वाला और अपनों के भरण-पोषण की बेचैनी प्रवासियों को पुन: लौटने को विवश कर रही है। कुमारडुंगी प्रखण्ड से
कामगारों के पलायन के जो कारण पहले थे, कमोबेश वही आज भी मौजूद है। कोरोना जैसी महामारी के बावजूद उसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है इसका जीता जागता उदाहरण बुधवार देर रात देखने को मिली कि के छोटा रायकमन पंचायत के बड़ा रायकमन में क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों को लेने के लिए तमिलनाडु राज्य के तिरुपुर जिला अमापालियम में स्थित देवास कौरुग्रेशन इंडस्ट्रीयल कार्टून कंपनी की बस बड़ा रायकमान से 24, बिहार से 24, रामगढ़ से 11 प्रवासी मजदूरों को ले जा रही थी।
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