विजय पाठक, केंद्र सरकार से 14वें वित्त आयोग के जरिए मिली राशि का नगर निगम में किस प्रकार दुरुपयोग हुआ, इसका एक उदाहरण झरिया अंचल के वार्ड नंबर 39 में मौजूद है। भौरा 5 नंबर में बीसीसीएल ने जिस स्थान को कोयला खनन के लिए चिह्नित कर रखा था, निगम ने उसी स्थान पर 80 लाख की लागत से सड़क बनवा दी। सड़क बनाने के लिए निगम ने बीसीसीएल से एनओसी तक नहीं लिया।
चौंकाने वाली बात रही कि जब सड़क बन रही थी, तब बीसीसीएल अधिकारियों ने वहां जल्द ओपेनकास्ट चालू होने का हवाला देकर निर्माण का विरोध भी किया था, परंतु निगम ने आंख-कान बंद रखीं। सड़क बनने के लिए छह माह बाद ही बीसीसीएल ने उस स्थान पर कोयला खनन आरंभ कर दिया। नतीजतन, 80 लाख की सड़क का 70 मीटर का हिस्सा ओपेनकास्ट प्रोजेक्ट में समा गया। इसके साथ ही पूरी सड़क ही अनुपयोगी हो गई।
नगर निगम ने इंट्रीग्रेटेड पैकेज में बनाई थी यह सड़क
14वें वित्त आयोग की राशि से विभिन्न वार्डों में इंट्रीग्रेटेड सड़काें का निर्माण पैकेज के हिसाब से कराया गया। वार्ड नंबर 39 में भी पिछले साल सात करोड़ की लागत से पैकेज में पांच सड़काें का निर्माण कराया गया। इसी पैकेज में भाैरा पांच नंबर की भी वह सड़क शामिल थी, जाे प्राेजेक्ट में समा गई।
प्रोजेक्ट की जानकारी नगर निगम को नहीं थी
निगम का काम जनता काे सुविधा उपलब्ध कराना है। फायर या खनन क्षेत्र में ताे सड़क नहीं बननी चाहिए, लेकिन धनबाद की जाे स्थिति है, उसमें यह संभव नहीं है। निगम का एक बड़ा काेयला क्षेत्र में है। ऐसी स्थिति में धनबाद शहर को छोड़ निगम कहीं काम नहीं करा पाएगा। भाैरा में प्राेजेक्ट की जानकारी निगम काे नहीं थी, इसलिए सड़क बनाई गई। ऐसा भाैरा में ही नहीं, बल्कि कई जगह भी हुआ है।
-अजीत लुईस लकड़ा, मुख्य अभियंता, नगर निगम
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3093eaE
Comments
Post a Comment