रांची में होल्डिंग टैक्स कलेक्शन के लिए सूडा ने श्री प्रिंटेक को चुना, मेयर आशा लकड़ा ने विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा
रांची में होल्डिंग टैक्स कलेक्शन के लिए एजेंसी तय करने पर शुरू हुए विवाद के बीच नगर विकास विभाग की एजेंसी सूडा ने नई एजेंसी का चयन कर लिया है। मेयर आशा लकड़ा और नगर विकास विभाग के बीच छिड़ा विवाद हाईकोर्ट में पहुंच गया इसके बावजूद सूडा की टेंडर कमेटी ने नई एजेंसी का नाम तय करते हुए प्रस्ताव ऊपर भेज दिया है। अब हाईकोर्ट का फैसला आने और विभागीय मंत्री सह मुख्यमंत्री की स्वीकृति के बाद सूडा द्वारा नई एजेंसी को वर्क आर्डर दिया जाएगा। श्री प्रिंटेक नामक कंपनी को रांची और धनबाद में होल्डिंग टैक्स कलेक्शन के लिए चयनित किया गया है।
वर्तमान में नगर निगम द्वारा स्पैरो सॉफ्टेक कंपनी को होल्डिंग टैक्स कलेक्शन पर 10.50 फ़ीसदी कमीशन दिया जा रहा था, जबकि नई कंपनी करीब 3 फ़ीसदी कम रेट कोट करके 7.34 फीसदी कमीशन पर काम करने को तैयार हो गई। इसलिए श्री प्रिंटेक को रांची और धनबाद में होल्डिंग टैक्स कलेक्शन का टेंडर मिलना तय है। नई एजेंसी चयन का प्रस्ताव टेंडर कमेटी द्वारा दिए जाने के बाद नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने दावा किया कि नई एजेंसी से रांची और धनबाद नगर निगम के राजस्व में भारी वृद्धि होगी। साथ ही रांची नगर निगम को 3 साल में कमीशन मद में 4.50 करोड़ रुपए बचेंगे।
कमीशन को लेकर विवाद : विभाग द्वारा एजेंसी चयन किए जाने पर मेयर फिर भड़क गई। उन्होंने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में है और जब तक हाईकोर्ट का फैसला नहीं आता है तब तक किसी नई एजेंसी का चयन किया जाना गलत है। उन्होंने कहा कि निगम नई एजेंसी के साथ एग्रीमेंट नहीं करेगा। कोर्ट का फैसला आने तक स्पैरो सॉफ्टेक ही होल्डिंग टैक्स का कलेक्शन करेगी।
शुरू से ही रहा विवाद
होल्डिंग टैक्स कलेक्शन करने के लिए पहली बार 2013 में स्पैरो सॉफ्ट कंपनी का चयन किया गया था। 16 फीसदी कमीशन पर काम दिया गया था। इतना अधिक मिलने पर 2017 में तत्कालीन मंत्री सीपी सिंह ने सवाल खड़े किए। टर्मिनेट करने का निर्देश दिया। इसके बाद नए सिरे से टेंडर हुआ, जिसमें स्पैरो सॉफ्टेक को ही 10.50 फीसदी कमीशन पर टेंडर दे दिया गया। उस समय भी कमीशन ऊपर तक खिला कर मनपसंद कंपनी को काम देने का मामला खूब उछला था।
मेयर ने कहा-मामला कोर्ट में, नया एग्रीमेंट नहीं
अब नई सरकार बनते ही नगर विकास विभाग की एजेंसी सूडा द्वारा जैसे ही नई कंपनी के चयन के लिए टेंडर निकाला गया, मेयर आशा लकड़ा ने विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। विभाग के अधिकारी अपने स्तर पर टेंडर करने पर अड़ गए। हालांकि इस प्रतिस्पर्धा में 3 फीसदी कम रेट पर वही काम करने के लिए नई कंपनी तैयार हो गई। इससे दावा ज्यादा मजबूत हुआ, क्योंकि नगर निगम को सालाना करीब डेढ़ करोड़ रुपए बचेंगे।
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