झारखंड में मनरेगा कर्मी अपनी पांच सूत्री मांगों के समर्थन में सोमवार से पूरे राज्य में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। उनके हड़ताल पर चले जाने से राज्य में मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्य प्रभावित हो सकते हैं। वर्तमान में मनरेगा के तहत 4 लाख 84 हजार योजनाएं पूरे राज्य में चल रही हैं। दूसरी ओर इससे जुड़े छह लाख से ज्यादा मनरेगा मजदूरों का रोजगार भी प्रभावित हो जाएगा।
इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। मनरेगा से जुड़े कर्मियों ने 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के पूर्व इस माह के प्रथम सप्ताह में ही तीन दिवसीय आंदोलन किया था, ताकि राज्य प्रशासन का ध्यान उनकी ओर जाए और उनकी मांगों पर सुनवाई हो। लेकिन इस दिशा में किसी भी स्तर पर ठोस पहल नहीं होने से मनरेगाकर्मियों ने अब अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का मन बना लिया है। राज्य में वर्तमान समय में करीब 5000 मनरेगा कर्मी हैं।
सरकार वार्ता कर मांगों पर कार्रवाई का लिखित आश्वासन दे : संघ
इधर, मनरेगा कर्मियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम स्वयं प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कोविड-19 के संक्रमण काल को देखते हुए मनरेगा कर्मियों से हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की है। जबकि झारखंड प्रदेश मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव मो. इम्तियाज ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार की ओर से संघ के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता पर बुलाकर उनकी मांगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई के लिए ठोस आश्वासन लिखित तौर पर नहीं दिया जाता है, तब तक उनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।
विकास आयुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई है कमेटी
राज्य के मनरेगा कर्मियों की मांगों पर उचित कार्यवाही के लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। जिसमें वित्त सचिव और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी मनरेगा कर्मियों की मांगों को लेकर बैठक करेगी और सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य मांग : मनरेगा कर्मियों को स्थाई करें
झारखंड मनरेगा कर्मी संघ की मुख्य मांग उन्हें स्थाई करने की है। उनका कहना है कि पिछले करीब 12- 13 साल से वे लगातार अपनी सेवा दे रहे हैं, लेकिन नौकरी का कोई ठौर- ठिकाना नहीं है। उन्हें अफसर मनमाने तरीके से बर्खास्त कर देते हैं। घटना-दुर्घटना होने पर उनके परिजनों को कोई लाभ नहीं मिलता। कोविड-19 के संक्रमण काल में भी उनकी सुरक्षा पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। उनका ना तो स्वास्थ्य बीमा है और ना ही जीवन बीमा, इसकी भी व्यवस्था हो।
मनरेगा कर्मियों की मांग पर सरकार करेगी विचार
मनरेगाकर्मी हड़ताल पर जाने की जिद छोड़ दें और काम पर लौटें। सरकार उनकी मांगों पर संवेदनशील है। हर जरूरी मांग पर सरकार विचार करेगी। मुख्यमंत्री से भी बात हुई है। उन्होंने कमेटी को भी यह हिदायत दी है कि उनकी वाजिब मांगों पर सरकार विचार करे। हड़ताल से मजदूरों को काम से वंचित होना पड़ेगा। - आलमगीर आलम, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग।
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