जमीन के नीचे आग है...। चारों तरफ गैस है...। जमीन धंसने का खतरा है...। प्रशासन ने फायर एरिया में रह रहे 2008 परिवारों की जिंदगी खतरे में माना था। बरसात में हालात बेकाबू हो, उससे पहले इन्हें फायर एरिया से शिफ्ट कर बेलगड़िया टाउनशिप में बसाने की जरूरत समझी गई थी।
18 जून 2020 को तत्कालीन डीसी अमित कुमार ने इन 2008 परिवाराें काे 15 दिनों के अंदर बेलगड़िया में बसाने का निर्देश दिया था। जेआरडीए ने वहां से शिफ्ट करने के लिए परिवारों की सूची भी बना ली। पर 55 से अधिक परिवारों को वहां शिफ्ट नहीं कर पाए। 1953 परिवार मौत के मुंहाने पर जिंदगी गुजारने को विवश हैं। दरअसल, कोरोना का वायरस यहां पुनर्वास के पांव में बेड़ी बन गया। संक्रमण फैलता गया और रोज नए कंटेनमेंट जोन बनते गए।
इन कंटेनमेंट जोन के दायरे में वह क्षेत्र भी आ गया, जहां से विस्थापितों को शिफ्ट करना है। भू-धंसान क्षेत्र के कंटेनमेंट जोन बनने से वहां कर्फ्यू लग गया और लोग चाहकर भी वहां से नहीं जा सके। स्थिति तब और भी विपरीत हो गई, जब बेलगड़िया टाउनशिप (जहां उन्हें बसाना था) के लोगों ने कोरोनाकाल में उनके आने पर आपत्ति जता दी। बेलगड़िया के लोगों को कहना था कि इनके यहां आने से संक्रमण फैलेगा, इसलिए इनका पुनर्वास अभी नहीं हो। कंटेनमेंट जोन व स्थानीय लोगों के विरोध के कारण इनका पुनर्वास अब तक नहीं हो सका। वे फायर के बीच जीवन गुजारने को विवश हैं।
विस्थापिताें काे नहीं बसाए जाने के 2 बड़े कारण...
1. सील है अग्नि प्रभावित क्षेत्रों के कई इलाके
झरिया और धनबाद के भू-धंसान प्रभावित क्षेत्राें में कई कंटेनमेंट जाेन बन गए हैं। इनमें लाेदना में खपड़ा धाैड़ा, इस्लामपुर 4 नंबर, बागडिगी काेलियरी, जयरामपुर, जियलगाेरा सहित कई जगह सील है। इमरजेंसी सेवा काे छाेड़कर इन क्षेत्राें में आने जाने की मनाही है।
2. बेलगड़िया टाउनशिप में विवाद व तनाव
जेआरडीए के प्रभारी पदाधिकारी कुमार बंधू कच्छप का कहना है कि संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के कारण बेलगड़िया के लाेगाें ने विस्थापिताें काे बसाने का विराेध किया है। लाेगाें का कहना है कि काैन संक्रमित है, इसका पता नहीं है। बिना जांच बसाना ठीक नहीं है।
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