जीतेंद्र कुमार, झारखंड के शहरी क्षेत्रों में वाटर यूजर चार्ज बढ़ेगा। बोरिंग की वर्तमान प्रक्रिया से लेकर भूगर्भ जलस्तर को बनाये रखने से जुड़े प्रक्रियाएं नियंत्रित की जाएंगी। इसको लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग ने जल कार्य एवं जल अधिभाग से संबंधित नियमावली को संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि वाटर यूजर चार्ज कितना बढ़ेगा।
इस मुद्दे पर सरकार के शीर्ष स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। नगर विकास एवं आवास विभाग नियमावली को संशोधित करने में जुट गया है। दर क्या हो, जिससे किसी पर अतिरिक्त बोझ ना पड़े, यह देखा जा रहा है। जानकारी के अनुसार, नियमावली को संशोधित करने का प्रस्ताव तैयार करने के बाद उस पर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी।
जुडको की रिपोर्ट के आधार पर तय होगी दर
झारखंड के शहरी क्षेत्रों में वाटर यूजर चार्ज 2006 में निर्धारित किया गया था। उसके बाद झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 का गठन किया गया, जो 2012 में अधिसूचित हुआ। अधिनियम के तहत शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण से लेकर इसके उपयोग संबंधी विषय के लिए जल नियामक प्राधिकार का गठन किया जाना था। लेकिन प्राधिकार के गठन में छह साल का विलंब हुआ।
2018 में जल नियामक प्राधिकार के गठन के बाद उसने 2020 में नगर विकास एवं आवास विभाग को वाटर यूजर चार्ज में बढ़ोतरी के साथ बेतरतीब ढंग से किये जानेवाले बोरिंग को नियंत्रित करने का सुझाव दिया। इसके लिए नियमावली में संशोधन की बात कही। विभाग ने प्राधिकार की अनुशंसा पर जुडको से विस्तृत रिपोर्ट की मांग की। जुडको ने रिपोर्ट सौंप दी है। जिसके बाद नगर विकास एवं आवास विभाग नियमावली को संशोधित कर रहा है।
राज्य में ढाई लाख घरों से भी नहीं होती वाटर चार्ज की वसूली
राज्य के 50 नगर निकायों में लगभग साढ़े दस लाख घरों में ही वाटर कनेक्शन हैं। लेकिन अनियमित जलापूर्ति, अनियमितता और बेहतर प्रबंधन के अभाव में ढाई लाख घरों से भी वाटर चार्ज की नियमित वसूली नहीं हो पा रही है। इससे निकायों को जल प्रबंधन करने में भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। शहरी इलाकों में बेहतर जल प्रबंधन के अभाव में भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है।
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