गांधी के सच्चे अनुयायी टाना भगत...अहिंसा-परिश्रम सात्विक जीवन शैली से कोरोना इन्हें छू भी नहीं पाया

कुंदन कुमार चौधरी, झारखंड के टाना भगत समुदाय के लोगों की जीवनशैली ने कोरोना को मात दे दी है। आज जब झारखंड का हर जिला कोरोना से प्रभावित है, राज्य के 8 जिलों में फैली टाना भगत की 22 हजार से ज्यादा आबादी कोरोना को मुंह चिढ़ा रही है। इस समुदाय का एक भी शख्स पॉजिटिव नहीं मिला है। अहिंसा, परिश्रम और सात्विकता से भरी इनकी जीवनशैली आज भी वैसी ही है, जैसी 100 साल पहले थी। ये लोग मांसाहार तो दूर, लहसुन-प्याज भी नहीं खाते। पॉलिथीन का इस्तेमाल नहीं करते और बाहर जाते हैं, तो पत्तों से बना मास्क लगाते हैं।

टाना भगत समुदाय झारखंड के 8 जिलों रांची, गुमला, लातेहार, लोहरदगा, चतरा, पलामू, खूंटी और सिमडेगा में रहता है। टाना भगत विकास प्राधिकरण के मुताबिक, गुमला जिले के 9 ब्लॉक में 6478 टाना भगत हैं। रांची में इनकी संख्या 4937 है। रांची से 32 किमी दूर लोयो पंचायत के सकरा गांव में रहने वाले बुजुर्ग सुकरा टाना भगत बताते हैं कि टाना बाबा कहते थे प्रकृति से जुड़ो। हम वही खाते हैं, जिसे खुद उगाते हैं। हमारे समुदाय में झगड़े भी नहीं होते, इसीलिए किसी थाने में एक भी शिकायत नहीं है।

घर में पैर धोकर ही आते हैं, गंदगी दिख जाए इसलिए सफेद कपड़े ही पहनते हैं
इस समुदाय में कोरोना प्रवेश नहीं कर पाया, क्योंकि लोग साफ-सफाई के लिए प्रति सजग है। छोटे-बड़े सभी घर में अंदर आने से पहले पैर धोते हैं। जूते-चप्पल बाहर ही रखते हैं। कच्चे मकान की दीवारों और दरवाजों पर गोबर लीपते हैं। हमेशा सफेद कपड़े पहनते हैं, ताकि गंदगी तुरंत दिख जाए।



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Tana Bhagat, a true follower of Gandhi… Corona could not even touch them due to non-violence and hard work.


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