
कोरोना महामारी में पहले तो शिक्षा का पैटर्न बदला, अब शिक्षकों में तकनीकी परिवर्तन लाने की तैयारी चल रही है। शिक्षकों को डिजिटली स्ट्रांग किए जाने का प्रयास चल रहा है। ऐसे में डिजिटली फैसिलिटेशन स्किल बढ़ाने के लिए राज्य के सभी शिक्षकों की ट्रेनिंग होगी। एसपीडी शैलेश कुमार चौरसिया ने कहा है कि पीरामल फाउंडेशन के इस प्रस्ताव को अनुमति दे दी गई है। पीरामल फाउंडेशन द्वारा यह कार्यक्रम संचालित किया जाएगा।
इसका वित्त पोषण गूगल करेगा। इस प्रस्ताव को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने अपनी स्वीकृति दे दी है। इसके लिए जिलावार प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार होगा। पहले चरण में सभी टीचरों काे 6 घंटे प्रशिक्षित करना है। विभाग की कोशिश है कि सभी शिक्षक केवल अपने-अपने विषयों को डिजिटली पढ़ा सकने में समर्थ ही न हों, बल्कि अपने विषयों का डिजिटल कंटेंट भी तैयार करें और उसे छात्रों को भेजें। एसपीडी ने इस संबंध में सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा अधीक्षकों को गुरुवार को पत्र भेजा।
हमारा लक्ष्य डिजिटल तकनीक से शिक्षकों को समृद्ध करना : शैलेश
एसपीडी शैलेश कुमार चौरसिया ने कहा है उनका लक्ष्य राज्य के सभी शिक्षकों को डिजिटल तकनीक से समृद्ध करना है। प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य है कोविड-19 के संदर्भ में शिक्षकों को डिजिटल मोड के विभिन्न पहलुओं और ऑनलाइन कंटेंट के निर्माण से परिचित कराते हुए उन्हें दक्ष बनाना, ताकि वे अपने विषयों का ऑनलाइन कंटेंट बना सकें। छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने के दृष्टिकोण से शिक्षकों में इस क्षमता का विकास कराना महत्वपूर्ण है।
पीरामल फाउंडेशन उपलब्ध कराएगा तकनीकी विशेषज्ञ
ट्रेनिंग के लिए पीरामल फाउंडेशन तकनीकी विशेषज्ञों की टीम उपलब्ध कराएगा। राज्य में कार्यरत आईसीटी अनुदेशकों की भी सेवा ली जाएगी। ट्रेनिंग में शिक्षकों को सप्ताह में तीन दिन ट्रेनिंग दी जाएगी। तीनों दिन 2-2 घंटे का प्रशिक्षण होगा। इस प्रकार एक शिक्षक एक सप्ताह में कुल छह घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त करेगा। राज्य के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अभी यूनिसेफ की टीम डिजिटल कंटेंट बनाती है।
इधर, सरकारी स्कूलों की पहली, छठी, 9वीं और 11वीं कक्षा में मात्र 35% नामांकन
सरकारी स्कूलों में नामांकन की गति बेहद धीमी है। रोटेशन के आधार पर शिक्षकों के स्कूल जाने के बाद भी एडमिशन के लिए बच्चे नहीं आ रहे हैं। झारखंड शिक्षा परियोजना को अभी अंतिम डाटा नहीं मिला है, पर जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार अभी पूरे राज्य के सरकारी स्कूलों की पहली, छठी, 9वीं और 11वीं कक्षा में मात्र 35 प्रतिशत बच्चों का ही नामांकन हुआ है।
अनौपचारिक बातचीत में शिक्षकों ने बताया कि मैट्रिक पास करीब 50 प्रतिशत बच्चों ने 11वीं में नामांकन लिया है, परंतु पहली, छठी या 9वीं में नामांकन लेने वाले बच्चे इक्का-दुक्का ही आ रहे हैं। इस बीच स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने सभी जिलों से हो चुके नामांकन की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही ई-विद्या वाहिनी पोर्टल पर स्कूल वार और क्लास वार बच्चों के नाम अपलोड करने का निर्देश दिया है।
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