प्रखंड के बानादाग गांव के तीन किसान करीब पांच एकड़ भूमि में टमाटर की खेती कर रहे थे। पौधे में फल लग रहे थे। इसी दौरान पौधे में हरियाली व फलों को दुरुस्त रखने को लेकर जब दवा का छिड़काव किया तो तीन दिनों के बाद से पूरे फसल बर्बाद हो गई। टमाटर के पौधे पूरी तरह सूख गए। किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी। किसानों को करीब पांच लाख की क्षति हुई। किसानों ने इस संबंध में जिला उद्यान पदाधिकारी को आवेदन देकर दवा कंपनी से मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है। बानादाग निवासी किसान दीपक कुमार ने आवेदन में कहा है कि उसने अपने सहयोगी संतोष कुमार व अजीत कुमार कुशवाहा के साथ मिलकर कटकमदाग प्रखंड के डाढ़ा गांव में करीब पांच एकड़ जमीन लीज पर लेकर टमाटर की खेती की थी।
पौधों में टमाटर लगना शुरू हो चुका था। इसी दौरान 15 दिन पूर्व बानादाग गांव में संचालित कुशवाहा बीज भंडार से बायर कंपनी की नोटिभो दवा खरीदी थी। फसलों को हरियाली व दुरुस्त रखने के लिए दुकानदार के निर्देशानुसार उचित मात्रा में दवा छिड़काव किया। लेकिन दवा छिड़काव के तीन दिनों बाद सारे पौधे जलने जैसे हो गए। किसानों ने तत्काल इसकी सूचना कुशवाहा बीज भंडार दुकानदार को दी। उन्होंने कंपनी के फील्ड वर्कर से संपर्क कर दवा की शिकायत की। कंपनी के कर्मी सुजीत सिंह गांव आकर बीज भण्डार के दुकानदार व अन्य किसान के कुछ टमाटर के फसलों पर परीक्षण को लेकर दवा का छिड़काव किया। फिर भी तीन दिनों के अंदर पौधे सूख गए। किसानों का आरोप है कि दवा में गड़बड़ी के कारण ही टमाटर की फसल बर्बाद हो गया है।
इस संबंध में कंपनी के फील्ड वर्कर अजीत सिंह ने कहा कि टमाटर लगे जमीन में नमी नहीं रहने के कारण ऐसी स्थिति हो जाती है। ऐसे हमने इस बात की जानकारी कंपनी के वरीय पदाधिकारियों को दे दी है।
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