जेएन कालेज धुर्वा के उर्दू विभागाध्यक्ष मो रिजवान अली ने कहा कि उर्दू की प्रगतिशील व आधुनिक परंपरा के शम्सुरर्हमान फारूकी महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उनका निधन उर्दू से पूरे उपमहाद्वीप के साहित्य के लिए अपूर्णीय क्षति है। प्रो रिज़वान अंजुमन प्लाजा हॉल में हुई स्मृति सभा में बोल रहे थे।
आयोजन अंजुमन फरोग-ए-उर्दू झारखंड ने किया था। जनवादी लेखक संघ के सचिव एमजेड खान ने कहा कि मीर और गालिब की गजलों के भावार्थ पर शम्सुर्रहमान फारुकी का साहित्य में बड़ा योगदान है। गोष्ठी में आमया अध्यक्ष एस अली, डॉ तस्नीम आरा, आएशा खान, शगुफ्ता नाज़ मौजूद थे।
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